ध्यान: बाहर से भीतर की यात्रा
आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में मन को एकाग्र कर पाना बहुत ही कठिन है। यह कोई अतिरिक्त कार्य नहीं, बल्कि जीवन का नियमित कार्य है। इसी से जीवन सुगठित-सुव्यवस्थित एवं प्राकृतिक बनता है। ध्यान सर्वाधिक प्रभावोत्पादक मानसिक तथा तन्त्रिका टाॅनिक है। जिसके द्वारा प्रारम्भ से ही शान्ति और स्थिरता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।...