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आयुष्य मन्दिरम् एक गैर-लाभकारी (a not-profit) संस्थान है जिसका लक्ष्य एवं उद्देश्य भारतीय पारम्परिक चिकित्सा ज्ञान जैसे योग, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद, एक्युप्रेशर आदि का विश्वभर में प्रचार-प्रसार करना तथा उपचार,अनुसंधान व प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करना है।
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आयुष्यमाला-योग सीखो

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इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को योग की गहराईयों में ले जाना और उन्हें योग के महत्त्व, प्रकार, तकनीकों, और अभ्यास की विस्तृत जानकारी प्रदान करना है। योग का शाब्दिक अर्थ है ‘एकता’ या ‘बाँधना’, जिसका संकेत है कि यह मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण का माध्यम है। योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।

योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम मन, श्वास और शरीर के विभिन्न अंगों में सामंजस्य बनाना सीखते हैं। वे साधन व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से चुस्त और भावनात्मक रूप से संतुलित रखते है। यह सब साधन (अभ्यास-प्रक्रियायें और तकनीक के रूप में मिलकर ‘योग’ कहलाते है।

इस पुस्तक में योग के अर्थ, परिभाषा और इतिहास, उद्देश्य, विशेषताएँ और महत्व और पध्दतियाँ, योग के मार्ग/प्रकार/पध्दतियाँ, योग पथ में गुरु-शिष्य परम्परा, योग साधना की प्रथम सीढ़ी-यम और नियम, योग अभ्यास से पहले की मंगलाचरण विधि, प्रार्थना मंत्र और शांति मंत्र, योगिक षटक्रियाओं का विवरण, आसनों की विभिन्न स्थितियों, सावधानियों और तकनीकों का वर्णन, प्राणायाम को करने से पहले की आवश्यकताएँ जैसे नियम और तैयारी का विवरण, सांसों और शरीर के प्रति जागरुकता, योग निद्रा, और ध्यान की प्रक्रियाओं का अवलोकन तथा अंत में वैश्विक योग दिवस, एक अच्छे योग प्रशिक्षक के गुण और कठिन शब्दार्थ का विवरण दिया गया है।

इस पुस्तक के माध्यम से लेखक का प्रयास है कि वह योग के प्रति जन जागरूकता पैदा करें और नए साधकों को सही मार्गदर्शन दें। यह न केवल साधकों के लिए, बल्कि योग वॉलंटियर्स और प्रशिक्षकों के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन साबित होगी।

यह पुस्तक न केवल योग साधना को सरल और सुलभ बनाने का प्रयास करती है, बल्कि योग के सभी पहलुओं पर गहराई से बात करती है, जिससे पाठकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि योग का अभ्यास उनके जीवन को कैसे परिवर्तित कर सकता है। पाठक निश्चित रूप से इस पुस्तक के माध्यम से आत्मज्ञान और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेंगे।

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Description

योग: स्वस्थ जीवन जीने की कला

पुस्तक का सारांश

इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को योग की गहराईयों में ले जाना और उन्हें योग के महत्त्व, प्रकार, तकनीकों, और अभ्यास की विस्तृत जानकारी प्रदान करना है। योग का शाब्दिक अर्थ है ‘एकता’ या ‘बाँधना’, जिसका संकेत है कि यह मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण का माध्यम है। योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।

योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से हम मन, श्वास और शरीर के विभिन्न अंगों में सामंजस्य बनाना सीखते हैं। वे साधन व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से चुस्त और भावनात्मक रूप से संतुलित रखते है। यह सब साधन (अभ्यास-प्रक्रियायें और तकनीक के रूप में मिलकर ‘योग’ कहलाते है।

योग के अर्थ, परिभाषा और इतिहास, उद्देश्य, विशेषताएँ और महत्व और पध्दतियाँ

पुस्तक का पहला अनुभाग योग के अर्थ, परिभाषा और इतिहास पर केंद्रित है। यहाँ योग का उद्देश्य, विशेषताएँ और महत्व, योग के मार्ग/प्रकार/पध्दतियाँ, योग पथ में गुरु-शिष्य परम्परा, योग साधना की प्रथम सीढ़ी-यम और नियम से भी परिचय कराया गया है। यह जानकारी सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत की गई है ताकि नए साधक भी इसे आसानी से समझ सकें।

योग की प्रार्थनाएँ

दूसरे अनुभाग में योग अभ्यास से पहले की मंगलाचरण विधि, प्रार्थना मंत्र और शांति मंत्र का उल्लेख किया गया है। ये प्रार्थनाएँ साधना के लिए एक सकारात्मक और शांति की अवस्था में लाने में सहायक होती हैं।

शरीर शोधन की विधियाँ

पुस्तक के तीसरे अनुभाग में योगिक षटक्रियाओं का विवरण है। ये क्रियाएँ शरीर को अंतःकरण से स्वच्छ करने का कार्य करती हैं। शुरुआती साधकों के लिए नेति, जाटक और कपालभाति के अभ्यास को विस्तार से समझाया गया है।

योग आसनों की जानकारी

पुस्तक के चौथे अनुभाग में आसनों की विभिन्न स्थितियों, सावधानियों और तकनीकों का वर्णन चित्रों के माध्यम से किया गया है। इससे साधक आसानियों के अभ्यास में संकोच नहीं करेंगे और उचित तरीके से आसनों को कर सकेंगे।

प्राणायाम का महत्व

पाँचवें अनुभाग में प्राणायाम और इसके विभिन्न भेदों के बारे में चर्चा की गई है। प्राणायाम को करने से पहले की आवश्यकताएँ जैसे नियम और तैयारी का विवरण भी यहाँ दिया गया है। अनुलोम-विलोम, शीतली, उज्जायी, और भ्रामरी जैसी तकनीकों का गहन विवेचन किया गया है।

योग निद्रा और ध्यान

छठे अनुभाग में सांसों और शरीर के प्रति जागरुकता, योग निद्रा, और ध्यान की प्रक्रियाओं का अवलोकन किया गया है। ये अभ्यास मानसिक शांति और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।

अन्तिम अनुभाग

पुस्तक के अंतिम अनुभाग में वैश्विक योग दिवस, एक अच्छे योग प्रशिक्षक के गुण और कठिन शब्दार्थ का विवरण प्रस्तुत किया गया है।

समापन विचार

इस पुस्तक के माध्यम से लेखक का प्रयास है कि वह योग के प्रति जन जागरूकता पैदा करें और नए साधकों को सही मार्गदर्शन दें। यह न केवल साधकों के लिए, बल्कि योग वॉलंटियर्स और प्रशिक्षकों के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन साबित होगी।

यह पुस्तक न केवल योग साधना को सरल और सुलभ बनाने का प्रयास करती है, बल्कि योग के सभी पहलुओं पर गहराई से बात करती है, जिससे पाठकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि योग का अभ्यास उनके जीवन को कैसे परिवर्तित कर सकता है। पाठक निश्चित रूप से इस पुस्तक के माध्यम से आत्मज्ञान और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेंगे।

Additional information

Weight 0.70 kg
Dimensions 24 × 21 cm
Brand :

आयुष्य मंदिरम्

Publisher :

आयुष्य मंदिरम् प्रकाशन

Colour :

बहुरंगी

Pages :

88

Author :

डॉ. जय प्रकाश भारद्वाज

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